अयांश - Neeraj Manral


अयांश तुम मेरे और भाई की तरह
अपने खयालों में मत खोये रहना
अपनी नींदें पूरी करना ज़रूर
पर अपने ख़्वाबों को मत सोने देना।

अयांश ये जो तुम अपने तसव्वुर से
हमारी कुदरत के कानून तोङते हो
इन कानूनों को तोङने की कोई सज़ा नही।
पर ये जो बात बात पे तुम
अपने ख़यालों में आशियाना ढूंढ लेते हो
उस बात मे भी कोई ख़ास मजज़ा नहीं।

अयांश तुम कई किस्से सुनोगे
इस क़ायनात के सिलसिले की आग़ाज़ के
पर एक ही ख़ुदा है शायद
और उसके लिये बस इबादत ही रहने देना
तुम नये तौर तरीके सीखना
नई रस्में निभाना बेशक
पर मुहोब्बत को मुहोब्बत ही रहने देना।


अयांश हम चाहेंगे की तुम्हे पहाङों से मुहोब्बत हो
या पहाङों में तुम्हारी पहली मुहोब्बत हो।
जिन पहाङों की धुंध आई है
रूह बनके तुम्हारी
उन पहाङों से हम पहाङियों की
कम से कम इतनी तो कराबत हो।

बात तो ये है अयांश की हम सब बस उसकी इक भूल हैं
और तुम भी उस भूल से बढ़ के नहीं
पर हम से पूछो तो ये कहकशां
तुम्हारे रुख़सार पे लगी धूल से बढ़ के नहीं।


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