वो सफर के हसीन पल आज भी बहुत खास है,
बस स्टैंड की बहतरीन चहल पहल आज भी बहुत खास है। छोटे से कस्बे से हम बस में निकलते थे,
जाने अनजाने से ही पर कई नए चहरों से मिलते थे।
सुबह का जोश मन में ऊर्जा बढ़ाता था,
खिलखिलाता चहरा नया उत्साह दे जाता था।
दिन की शुरुआत भजन और कीर्तन से होती थी,
ईश्वर से निकटता और मन में श्रद्धा भर देती थी।
रास्ते में बहुत से नए अनुभव जुड़ जाते थे,
दोस्तों संग बिताए पल मन को खुश कर जाते थे।
वो हंसी और मज़ाक का एक कारवां चलता था,
बेवजह का हंसना माहौल को खुशनुमा कर देता था।
रास्ते में बहुत से रंगीन नज़ारे मिलते थे,
पेड़, पौधे, हवा और फिज़ा मन में ताज़गी भर देते थे।
सामान बेचने के लिए लोग भी आते थे,
राग, गीत और तथ्यों संग अपने उत्पाद का विज्ञापन कर जाते थे।
अलग अलग जगह से लोग चढ़ते उतरते थे,
गंतव्य थे विभिन्न पर एक साथ सफर करते थे।
बस की टिकट की भी अपनी इक पहचान थी,
छोटी सी इक परची और शहरों के नाम की लम्बी सी लाईन थी।
कुछ मिनटों के सफर में बहुत सी बातें किया करते थे,
जो कभी हों अकेले तो ईयरफोन लगा गाने सुन लिया करते थे।
अकसर बस वाले नई फिल्में भी चलाते थे,
पूरी फिल्म तो नहीं देखते पर कहानी पता कर जाते थे।
जब खुश होते थे तो सफर छोटा लगता था,
जो कभी हों उदास तो वख्त बड़ी मुश्किल से कटता था।
अकसर हमारी दिनचर्या सारी सफर में ही कट जाती थी,
यादों की पोटली में रोज़ नए किस्से भर जाती थी।
बस से उतरते हम सलाम नमस्ते बुलाते थे,
कल फिर मिलेंगे इसी वादे के साथ सबसे बिदाई ले जाते थे।
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This poem won in Instagram Weekly Contest held by @delhipoetryslam on the theme 'Travelling'
Thankyou everyone for your love and blessings
Bahut sohni poem g..actualy its like a real traveeling peom
Well done♥️
Very nice mam
Bohot khoob💯
Beautiful lines 💓