By Yashverdhan Uniyal

मेरा जिक्र यहा कैसे हुआ
उस नासिर दीवानगी पर
इश्क़िया बन रेहे गया
इस दिल-ए-सिफारिश पर
वक्त का पैगाम कैसा
इस पल जो उभरा है
रवानगी के दौर में
तेहसीन कर गुज़रा है
भूल न जाना मुझे
अभी तो सिर्फ शुरूआत है
इस नासिर फरमान मे
मेरा जिक्र यहा जो हुआ है ।।