Zikr – Delhi Poetry Slam

Zikr

By Yashverdhan Uniyal 

 

 

मेरा जिक्र यहा कैसे हुआ 
उस नासिर दीवानगी पर 
इश्क़िया बन रेहे गया 
इस दिल-ए-सिफारिश पर 
वक्त का पैगाम कैसा 
इस पल जो उभरा है 
रवानगी के दौर में 
तेहसीन कर गुज़रा है 
भूल न जाना मुझे 
अभी तो सिर्फ शुरूआत है 
इस नासिर फरमान मे 
मेरा जिक्र यहा जो हुआ है ।।


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