Yuva Shakti – Delhi Poetry Slam

Yuva Shakti

By Sunder Prakash Kaushik "Raahi"

नव युवा शक्ति जग में ज्यूँ उन्मुक्त जल प्रवाह है,
शक्ति असीमित किन्तु केवल सदिश हो यह चाह है।
दिशाहीन जब हो बहे तो नाश ले आए यही,
पथभ्रष्ट होकर स्वयं को भी व्यर्थ खो जाए कहीं।
किन्तु यही निर्बाध निर्झर बांध पर जब आ रुके,
बाधा नहीं(बाधा नहीं)
प्रत्येक जल कण जन्म नूतन पा चुके।
उत्ताल जल के वेग का उपयोग अनुपम हो सके,
प्यासी धरा, सूखे अधर, सब सिक्त जल से हो सकें।
बस बांध हो विवेक का- 2
और पथ प्रदर्शन हो ज़रा,
संतृप्त सारी सृष्टि हो और शस्य श्यामल हो धरा।
अब 'राही' तुम भी बढ़ चलो,
जल सम बनो, निर्मल बनो,
शीतल बनो, उज्ज्वल बनो,
संबल बनो व सफल बनो!!

-सुंदर प्रकाश कौशिक 'राही'


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