By Mahek Desai
क्या ऐसा कोई जहाँ बना जिसमे बिछड़ने का रिवाज ही ना हो ?
वो जहाँ जाहा प्यार मिले , और बिछड़े नहीं
जाहा दिल मिले ,और टूटे नहीं
जाहा प्यार हो ,और पूरा हो..चाहे फिर क्युना प्यार का पहला शब्द ही अधूरा हो
जाहा ग़म की साज़िश ना ,सिर्फ़ प्यार की ख्वाहिश हो
जाहा अपने साप ना हो ,उनका दिल सचमे साफ़ हो
जाहा हसने पर सब साथ हो ,लेकिन रोने का भी रिवाज हो
जाहा यार हज़ार ,और प्यार बेकरार हो
क्या ऐसा कोई जहाँ बना जिसमे बिछड़ने का रिवाज़ ही ना हो ?