बेटियाँ – Delhi Poetry Slam

बेटियाँ

By Vinay Bhandari

माँ के गर्भ से नौ महीने बाद
जिस घर लक्ष्मी जी आती है
वो बेटी होती है।।

जिसके नन्हे नन्हेे कदम
मन को मोहित करती है
वो बेटी होती है।।

दिल बनके जो
परिवार की धड़कन बनती है
वो बेटी होती है।।

दुपट्टा बनकर जो
परिवार की इज्जत बनती है
वो बेटी होती है।।

बाबुल की गलियाँ छोड़केभी
जो घर की खुशियों का घ्यान रखे
वो बेटी होती है।।

“जिस घरमें बेटियों की किलकारियाँ गूंजती हो, वो घर कभी सूना नहीं हो सकता”।


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