बचपन – Delhi Poetry Slam

बचपन

By Vijendar Sangroul

 

बचपन खिलौनों में ,बचपन ढूंढता है...

संग खेलने कूदने को एक और मन ढूंढता है...
कभी नये खिलौनों को तोड के खुश ..
कभी टूटे को जोड़ने के ढंग ढूंढता है....

बचपन खिलौनों में ,बचपन ढूंढता है...

कभी तितलियों में, कहीं पंक्षियों में....
अपना वो मनपसंद रंग ढूंढता है...

बचपन खिलौनों में ,बचपन ढूंढता है...
मिट्टी के घर और कागज कि नाव....
आकाश में बरसात के मौसम ढूंढता है....

बचपन खिलौनों में ,बचपन ढूंढता है...
लड़ना जिससे उसी से दोस्ती पक्की रखना...
एक मासूम मन दर्पण ढूंढता है...

बचपन खिलौनों में ,बचपन ढूंढता है...


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