दिल्ली में प्रदूषण – Delhi Poetry Slam

दिल्ली में प्रदूषण

By Vijay Prakash

लगता नहीं है जी मेरा अब "एनसीआर" में
किस क़दर भरा है ज़हर यहाँ की बयार में

बुलबुल को "भाजपा" से न, न ही "आप" से गिला
क़िस्मत में धुंध थी लिखी फ़सल-ए-बहार में

उम्र-ए-दराज़ माँग के लाए थे चार दिन
दो सम-विषम* में कट गए, दो अस्पताल में

कह दो सब नागरिकों से कहीं और जा बसें
इतना धुआँ, इतनी घुटन, गर्द-ओ-ग़ुबार में

हूँ कितना बदनसीब "विजय" सांस के लिये
ताज़ी हवा भी नहीं मिली कू-ए-यार में


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