कुछ इकरार बाकी है – Delhi Poetry Slam

कुछ इकरार बाकी है

By Vijay Kumar

जुल्मो का तेरे अभी , कुछ इकरार बाकी है ? 
सब चले गए महफ़िल से ,कोई यार बाकी है? ||

नशे में होकर क्या , कोई सवार बाकी और? 
ज़िन्दगी में अभी तक , तेरा इंतजार बाकी है ||

शनिवार चले गए लोग, ज़िन्दगी के बहुत ,
शायद आना कोई अभी , इतवार बाकी है |||

सब सोच कर आए है , मेरी महफ़िल में कुछ |
लम्हो को जीने वाला , कोई किरदार बाकी है ||||

कभी मिल जाओ ,तो थोड़ा मुस्कुरा देना हजूर |
मेरे दिल में तेरे लिए , कुछ एतबार बाकी है ||||

साज़ टूट गया कबका , बड़ा बे आवाज होकर |
जो रुक ना सका अब तक ,वो फनकार बाकी है ||

घूंघरू छम छम करना ,य़े रुक चुके है दोस्तो |
झनन झनन करती ये ,झूमती झंकार बाकी है ||

मय तो कबकी खत्म हो चुकी ,इन मय खानो से |
फिर कैसे अब तक ,यहां इतने तलबगार बाकी है ||

खुश रहना भी हमारा ,क्यों गवारा नहीं हैं तुझको |
ज़िन्दगी ये तो बता दे ,अब कौन सा खुमार बाकी है ||

झुलस गया है ये शक्स ,सारे का सारा |
बता दे अगर कोई ,अभी अंगार बाकी है ||

निशानो की जगह, नहीं बची दिल पर |
करना और कुछ है ,तो कसूरवार बाकी है |||

कायदे से जीते जा रहे हैं हम तो ज़िन्दगी |
बता फिर कैसे ,बेफिजुल तकरार बाकी है ||||

उठ गया सभी का, भरोसा मुझ पर से यहां |
क्या मेरा कोई ,मासुम मददगार बाकी है |

बच गया है नया पुराना ,हिसाब जो किताबो में , 
चुकाने को उसको , बन्दा सरकार बाकी है ||

सवालो के जवाब, मिल चुके है बहुतो के |
फिर भी कुछ है , जो सिलसिले वार बाकी है |||

जी है ज़िन्दगी मैने , अपनी मर्जी से बहुत |
फिर भी कुछ अरमान ,होने असरदार बाकी है ||||

क्या सब मुर्दे आए है , जनाजे में मेरे उठकर |
क्या मेरे साथ चलने वाला ,कोई खुद्दार बाकी है ||


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