By Vandna Tiwari
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प्रसन्न हो ब्रह्मांड पर, ईश्वर ने स्त्री का सृजन किया,
समर्पण ग्रहणता गुण दे, अपने सबसे करीब लिया,
बेटी जन्म लेकर इसनें, घर आंगन गुलदार किया,
बहन रूप धरकर, ममता को खुद में जन्म दिया,
पत्नी होकर तुमने, पुरुष को सर्वस्व दिया,
मां बनकर स्वयं में, ईश्वर शक्ति का सृजन किया।
हर रूप स्त्री नें, पूरी निष्ठा से है जिया,
अस्तित्व भी अपना, इनमें न मिटने दिया।
पहचान सम्मान कायम रहे, अरमानों पर भी कर्म किया,
तोड़ बाधा अज्ञान की, हर क्षेत्र में नाम बुलंद किया।
डरना बिलखना और रोना, अब इसनें है छोड़ दिया,
क्यों सहे यह कोई दुर्भाव, जन्म तो सबका एक सा ही हुआ।