By Vaishnavi Gamit

गलती थी मेरी ।।
कसूर ना उसका,
था गिरधर जेसा वो,
हुआ था हृदय जिसका |
गलती थी यही ।।
कि समझी राधा खुद को,
मगर समय ने समझाया,
मानता वह गोपी मुझको |
गलती मेरी थी ।।
खुद को राधा माना मैंने,
रहना चाहती पास उसके,
इसके कारण ही हृदय दुखाया मैंने |
गलती हो चुकी ।।
सुधार नहीं सकती,
अब एक साधारण गोपी भाँति,
उसको भुला नहीं सकती |
गलती को सुधार नहीं सकती,
श्याम से दूर जा नहीं सकती ।।