By Tripti Mittal
क़फ़स में कैद हैं अभी कुछ बेबाक अरमां
कि उनकी रिहाई सवालों का सेलाब लाएगी
मेरे ख्याल जुदा नहीं है हालातों की हकीकत से
शब्दों का पर्दा हटा तो शिकन नज़र आएगी
लबों पर सजी है खामोशी तो खूबसूरत है जहां
गर कलम ने चुप्पी तोडी तो तूफ़ान उठाएगी
जज्बातों की तपिश से है रोशन दिलों का कारोबार
बुझ गई लौ तो दर्द का अँधेरा बिखरा जाएगी
किनारों से कब दिखते हैं गहरे समुंदर के तूफाँ
डूबो गहराई में तो हर लहर दाँस्ता सुनाएगी