By Tarannum Shaikh
कश्मकश, जद्दोजेहद, बेचैनी, बेखयाली,
दीवानगी, आवारगी, बेबसी, बदहवासी,
उमंगें, तरंगें, उम्मीद फिर उदासी,
तिनका, सहारा, तन्हाई और निरासी।
ये जज़्बात ज़िन्दगी के
कभी नाराज़ मुझसे कभी राज़ी,
इम्तिहान अभी और भी हैं
तू रख सीना फौलादी.
करीब है मंज़िल, हिम्मत न हार ज़रा भी
के हारना आसान है पर ये है जीत की बाज़ी
हाँ ये है जीत की बाज़ी!
