अभी तक – Delhi Poetry Slam

अभी तक

By Tajinder Saroya

अभी तक मैं सोया था
अपनी ही दुनियां में खोया था
यादों से मैं चिपकता रहता
ख्यालों में मैं फिसलता रहता

खुशी तो मैं चाहता हूं
इसी चक्कर में झूठे नाटक में फंस जाता हूं
मैं सच की दुनिया को नकारता
रखता ख्यालों की दुनिया से वास्ता

दुनियां को जीतने की तो बात दूर
हर रोज़ अपने ही आप से मैं हारता
अब थक गया हूं मैं चलते ऐसे
खुद से बातें करते ऐसे

अब बहुत हुआ जो ये बोझ मैंने ढोया था
अभी तक मैं सोया था
अपनी ही दुनियां में खोया था।।


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