अलविदा---तुम्हारी याद को – Delhi Poetry Slam

अलविदा---तुम्हारी याद को

By Swaty Prakash

तुम भी बस अब एक नाम भर रह गए हो
जो याद तो है बस याद नहीं आता
जो मांगी हुई कोक सा बस गला तर भर जाता है
जो सर्दियों की ढलती धुप सा गर्म तलवे ही कर पाता है
तुम अब भी कभी अनायास ही मिल जाते हो
मगर साथ उस लम्बी अपनी ही परछाई का सा होता है
जो दिन ढलते ही हाँथ छटक दूर हो जाता है
तुम अब भी मेरी कोष की कविता मे रहते हो
जो जब पढ़ो तो सुकून तो देता है
मगर हर ख्याल के साथ एक पन्ना और पीछे हो जाता है


1 comment

  • बहुत बढ़िया।

    sunita agarwal

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