स्वच्छ हाथ – Delhi Poetry Slam

स्वच्छ हाथ

By Dr Mini Palathingal Narayanan

इक् सा कीटाणु, जो नहीं दिखती 
इस तरह है, इस की गति
ना ही कहीं  पर टिकती
चल बदल और प्रगति 

पल-पल और पनपती
हर जगह इसकी उपस्थिति
बिल्कुल कभी न घटती
हुआ ऐसा विशेष स्थिति

रोकने-टोकने से विफल
होगा हम सब मिलाकर आएं
जुटकर बन आए ऐसा फल
और सभी को समझाएं

हर एक को अपना फर्ज़ 
बनता है, लेना यह कस्म,
कि हाथ धोए, मिटाये कर्ज़ 
सो बन जाए सफल हम

हाथों की सफाई, से न जाने 
मैले मिटते, कीटाणु घटाए
कितनी ही महामारी हार माने 
सिर्फ, छोटी सी कर्म  बढ़ाए।

हाँ, चलो दोनों हाथों को परस्पर
मिलाकर रगड़-रगड़ कर
अच्छा साबुन या सैनिटाइज़र
स्पर्श कर, हर बार किया कर

Handrub का इस्तेमाल 
बीस से चालीस seconds 
और handwash का कमाल
 होगी चालीस से साठ seconds


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