बेमौसम की बारिश – Delhi Poetry Slam

बेमौसम की बारिश

By Suruchi Gautam

ये बेमौसम की बारिश
संग कई संदेसे लाती है

ये है पैग़ाम ख़ुशी का
या आहट है किसी ग़म की
इक टीस उठी है सीने में
और आँखें भी है नम सी
गरज बरस मन आँगन में, बिजली सी चमकती है
ये बेमौसम की बारिश, संग कई संदेसे लाती है

इसमें है यादें बचपन की
सौंधी मिट्टी मेरे आँगन की
संगी साथी सहेली की
पेड़ों से लटके झूलों की
लहक महक मेरे जीवन में, घाव कई दुलराती है
ये बेमौसम की बारिश संग कई संदेसे लाती है

या है इसमें कोई दर्द छुपा
जिसे आज गगन न रोक सका
और तोड़ के हर इक बंधन को
बेबाक आज ये रो उठा
हरड़-घरड़ उस बदल की, हिया मेरा धड़कती है
ये बेमौसम की बारिश, संग कई संदेसे लाती है


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