By Surinder Joshi
ज़िंदगी बस एक ही है
पल दो पल की छोटी सी है।
इस से पहले कि बीत जाए,
मन की मन में ही रह जाए,
पूरी कर ले हर तमन्ना,
अपना हर सपना सजा ले।
बाहें फैलाए खड़ी है,
ज़िंदगी को गले लगा ले।
प्यार है अर्पण, समर्पण,
प्यार का यही सार है।
जिसने खोया, उसने पाया,
जीत है, ना कोई हार है।
ठान कर इक बार मन में,
तू भी इक बाज़ी लगा ले।
हो जा किसी का, या किसी को,
दिल में तू अपने बसा ले।
बाहें फैलाए खड़ी है,
ज़िंदगी को गले लगा ले।
ना रहें यह मस्तियां,
ना रहे यौवन सदा।
ना रहे खुशबू चमन में,
ना रहे सावन सदा।
तेरी हस्ती भी चंद लम्हे,
लड़ झगड़ ले, मुँह फुला ले।
या खुशी के चंद लम्हे,
बांट ले, हँस ले, हँसा ले।
बाहें फैलाए खड़ी है,
ज़िंदगी को गले लगा ले।
भूल गुज़रे कल की तल्ख़ी,
आने वाले कल के मसले।
आज है बस इक हकीकत,
आज जो जी में है, कर ले।
जी ले जी भर इन लम्हों को,
हर तमन्ना पूरी कर ले।
थाम ले बढ़ कर यह लम्हे,
फिर ना वापिस आने वाले।
बाहें फैलाए खड़ी है,
ज़िंदगी को गले लगा ले।