By Surekha Mali

स्थिर मन, चंचल चितवन,
ख्यालों में मचा एक अजब सा शोर है,
दिल के किवाड़ों से हर एक लम्हा,
झांकता ये आखिर कौन है,
बेबाक सी फिरती मेरी परछाई पर,
लिपटा बेबस सा तेरा अक्स है,
तूफान-ए-इश्क की गहराई में,
मैने भीगा रखा कहीं मौन है !!
फकीर गगन, पागल चमन,
बादलों में दबा एक गजब का छोर है,
साहिल के संवादों में हर पल तन्हा,
दिखता ये मुसाफिर कौन है,
इत्तेफाक ही लगती मेरी उजराई पर,
छिपता दिलकश सा कुंवारा नक्ष है,
आयाम-ए-इश्क की रुसवाई में,
मैने छिपा रखा कहीं मौन है !!
अधीर अगन, घायल पवन,
मशालों से निकला एक ख्वाब सा कमज़ोर है,
मुश्किल से सवालों में हर एक कन्धा,
ढूंढता ये मुंतज़ीर कौन है,
गुस्ताख़ सी दिखती मेरी तनहाई पर,
बिखरा पारस सा आवारा शख्स है,
उफ़ान-ए-इश्क़ की गरमाई में,
मैने दबा रखा कहीं मौन है!!
हां निरंतर, अनिश्चित, अनंत काल तक बस एक मौन है!!