ऐ नील गगन नीलम मेरे – Delhi Poetry Slam

ऐ नील गगन नीलम मेरे

By Dr. Suneet Madan

ऐ नील गगन नीलम मेरे,
तेरी छत्र में मुझे जीने दे।
एकल अब्र से बातें करूँ,
मुझे ऐसी कुछ शक्ति दे।

स्वप्न तुमसे उत्पन्न हों मेरे,
ऐश्वर्य में वृद्धि तुमसे मिले।
कंठ भरे तेरी स्तुति करूँ,
नीलमणि जो मुझे दर्शन दे।

मोहक मृदंग यूँ गूँज उठे,
भुजंग शिव रंग जब रंगे।
उस नील आँचल में ढलूँ,
दिव्य रूप जो तुझसे मिले।

ऐ नील गगन नीलम मेरे,
आगोश में सूर्य-चंद्र तेरे।
भोर-सांझ तेरा दम भरूँ,
मुझे ऐसी कुछ भक्ति दे।


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