गुरिया की शादी – Delhi Poetry Slam

गुरिया की शादी

By Sunanda Karmakar

उमर में कुछ 8 साल की होगी
बोलने में सबकी दादी है
सुबह से तैयार हो रही जो
आज उसकी गुरिया की शादी है

खाना पीना आज भुल गए सब
होमवर्क भी आज माफ़ी है
बारात निकली गुड्डु के घर से
मेहमाननवाजी काफ़ी है

बन रहे हैं पकौड़े भुजिया
मिट्टी पत्थर पानी के
तैय्यार हो रही गुरिया रानी
बारात तो अभी आनी है

गुड्डा आया दूल्हा बनके
फूलो वाली गारी में
गुरिया बनी दुल्हन रानी
दुपट्टे वाली साड़ी में

गारी चाहिए, खिलोने चाहिए
दूल्हे के नखरे काफी है
गुरिया रानी की शादी टूट गई
क्योंकि दहेज भी तो देना बाकी है


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