By Srinidhi Srinivasan
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आसमान में चारों ओर बहुत सी पतंग है।
मगर उसके किसी हिस्से में कहीं, एक पतंग और मांझे की छिड़ी हुई जंग है,
और इसके बीच, न जाने कितने पंछी, बेमौत ही मर गये।
उस पंछी को सिर्फ इतना मालूम था, कि उड़ना उसका वजूद था।
कसूर बस इतना ही था, कि वो पंछी गलत समय पर गलत जगह मौजूद था,
क्योंकि उड़ने और काटने के इस जद्दो-जहद में उसके बारे में किसी ने सोचा ही नहीं।
ठीक वैसे ही, लड़ाई चाहे माता-पिता की हो, परिवार की हो या देश-विदेश के सरकार की,
सबसे कम महत्त्व मिलता है जिसको, वो है बच्चों की दरकार ही,
क्योंकि उनसे भी ज्यादा जरूरी तो सबकें लिए यह बाकी सारे मसलें हो जाते हैं, कि उनको तो फिर भूल ही जाते हैं।
अब चलो लड़ाई है, तो लड़ाई में, बेशक जीतता है महज़ एक ही पक्ष या एक ही जन,
पर दोनों पक्षों में कोई निश्चित रूप से हारता है ना, तो वो है बच्चे और उनका बचपन,
क्योंकि खेलने-कूदने, पढ़ने-लिखने के उम्र में वो न जाने क्या-क्या सुन और देख लेते हैं,
कि फिर मिलते ही नहीं वो बचपने वाले बच्चे कहीं।
वो बच्चे फिर ऐसे रहते हैं, कि जैसे खुली क़फ़स में कैद कोई परिंदा रहता है।
सदमें के निशान लिए, वो बस उस परिंदे की तरह उड़ने की चाह में जिंदा रहता है,
क्योंकि उसका बचपन तो उसे वापस नहीं मिल पाएगा,
और गुज़रा वो जिन हालातों से, वो यादें भी वो मिटा ना पाएगा।
यूं तो फासलों का फैसला, किसी और का था, पर हर्जाना बच्चों को भरना पड़ा,
इन्हें अपना बेशकीमती बचपन खोना पड़ा, जबकि इनमें से तो कोई भी नहीं लड़ा,
क्योंकि इन्हें वो सब नहीं मिल पाता जो आमतौर पर एक बच्चे को मिलता है,
और आजीवन यह बात इन्हें कईं सारे तरीकों से सताता है।
तो हां माना, उड़ने को यहां आसमान बहुत बड़ा है, इसलिए यहां बहुत सी पतंग है।
पर एक लहराती पतंग और मांझे की यहां अक्सर चलती जंग है,
और इसके बीच फिर, बहुत से पंछी, बेमौत ही मर जाते हैं।
Great Sri!!! What a beautiful thought, gracefully expressed. Bohot khoob!!
Bahut hi gaharae se feel karke kadva sach likha he….. wonderful….God bless you beta 👏🙌
Wonderful Shri…. Keep up ! God bless you.