मेरी माँ – Delhi Poetry Slam

मेरी माँ

By Snehalata Panigrahi


मुझे मेरी माॅ से बेहद प्यार है,
भले ही उनके लोरी गुन-गुनाना मुझे याद नहीं,
पीठ थप-थपा कर सुलाना मुझे याद नहीं,
गोद में बिठा कर प्यार से खाना खिलाना भी याद नहीं,
मेरे हिस्से का प्यार पांच भाई-बहनों मे बट गया,
इस से भी मुझे कोई मलाल नहीं,
उन्होंने मुझे छोंटों को बेहद प्यार जताना सिखाया,
गुरु जनों को सम्मान देना सिखाया,
हर असमयको समय बनाना सिखाया,
कठिन परिश्रम करके ज़िंदगी जीना सिखाया,
जिसके चलते इस उम्रमें आज मैनें,
चौबिस घंटे से बाइस घंटे -
कठिन मेहनत करने से थकती नहीं,
नींद या भूख कभी मुझे हराया नहीं,
शारिरिक पीड़ा कभी डराया नहीं,
इसके लिए उनको मुझे हृदय से आभार हैं,
मुझे मेरी माॅ से बेहद प्यार है,
सिर्फ एक दिन नहीं,
साल भर ,हर दिन मेरे लिए,
"मातृ दिवस" है,
ऐसा कोई दिन नहीं है ,
जब मुझे वो याद नहीं आईं,
उनकी आवाज मेरी कानों में गुंजती है,
भले ही आज वो नहीं हैं,
उनकी सारी यादें ,
मेरे लिए खुबसुरत यादें हैं,
मेरी माॅ से मुझे बेहद प्यार है।

रचना -स्नेहलता पाणिग्राही 
भिलाई ११/०५/२०२५। विश्व मातृ दिवस


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