याद-शहर – Delhi Poetry Slam

याद-शहर

By Siddarth Joshi

 

 

सोचो तो, 
ज़िंदगी के सफ़र में,
चंद ही तो हैं सांसें, 
शायद यादशहर के पन्नों में आज,
ख्वाहिशों की हैं बातें, 
ज़ेहन-ए-गुलबन में जो किताब है,
अलग सियाही से लिखी हैं उसमें यादें। 

तो चलो ख्वाबों की बातें करते हैं,
कुछ दूर ही सही, पर घर चलते हैं,
वहाँ, डूबते सूरज से, नदी में रंग भरते हैं,
वहाँ, रात के आसमान में, सितारों के झुमके सजते हैं,
वहाँ, शेषो में बने दिल की, सियाही हैं सांसें।
सोचो तो, 
ज़िंदगी के सफ़र में 
काफी हैं चंद सांसें।


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