काली कोयल की करतूत – Delhi Poetry Slam

काली कोयल की करतूत

By Shuchi Agarwal

कोयल की करतूत, कोई न जाने
करती खुराफात ,मन न माने
देती अंडे ,कौए के घर
कौआ सेते ,भरभर
अंडे सेवे ,कोई। बच्चे लेवे कोई।।
अंडे सेवे कौवा।बच्चे लेवे कोकिला।।
बोली मीठी कोकिला,कर्कश कौआ कहलाए।।

कथनी मीठी ,खॉंड़ सी।करनी विष की लोय।।
कथनी सी, करनी करे।विष से,अमृत होय।।
काक का नाम, न लेवे कोय।कोयल से ,भारत-कोकिला कहलाए।।
काक चेष्टा ,जाने सब कोय।कुचेष्टा, कोयल की जाने ना कोय।।
काक चेष्टा ,विद्यार्थिन: लक्षणम।कुचेष्टा कोयल वसंतदूत मधुरम।।


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