आज एक वीर गगन मस्त हो गया – Delhi Poetry Slam

आज एक वीर गगन मस्त हो गया

By Shruti Ghosh

आज एक वीर ने अपने प्राण त्याग डाला है,
उस मां की आँखों में एक आंसू नहीं,
जिस जननी ने उसे पाला है|

वह गर्व से अपने पुत्र की तसवीरें निहारती,
हर अल्फाज में है उसे बुलाती ,
उसने कहा” बेटा आज तूने मेरा कर्ज उतार डाला ,
देखते ही देखते बन गया तू उस आसमान का तारा”|

क्या वह रोए या, रखे अपना दिल सक्त,
जिस माटी में मिला है उसके चिराग का रक्त|
बेजान को जुबा नहीं,
पर वीर की डगर गूंजी रही|

जिस पिता ने कांधे पर बिठाया,
आज उसने अपने पुत्र की अर्थी भी उठाया,
पहली बार शायद वह आज रोए हैं,
उजड़ गया वह बीज,
जो उन्हें अपने हाथों से बोये हैं|

वहां एक अबला खड़ी अपने प्रियतम की याद में ,
उजड़ गई उसकी जीवनी सिर्फ एक संवाद में|
हर बहन की वह रक्षा कर गया,
और एक अमर कहानी बन गया|

आज उसके मां का कलेजा टूट गया,
हाथ जिसने पकड़ा था, वह हाथ बुढ़ापे में छूट गया|
आज उसके परिवार को उस पर गर्व है,
पर है यह शोक सभा नहीं कोई पर्व है|

जब सांझ की बाती जलेगी,
प्रियतम के सीने में खिलेगी ,
हर नज़र जिसे ढूंढ रहा है,
वह वीर आज गगन की मिट्टी को चूम रहा है|

उस वीर को भुला पाना नहीं है देश के बस में,
क्योंकि एक वीर सिपाही बसता है, देश की नस- नस में|
अमर है शहीद का नाम ,
उसको हर देशवासी का प्रणाम|

वह गगन थम गए ,
जो आंखें नम हो गए|
आज वह वीर गगन मस्त हो गया,
जाने वह किस जहां में खो गया|

उसकी शोक है गली गली ,
उसको हमारी नम्रपूर्ण श्रद्धांजलि|
हमें जरुरत नहीं है सितारों की, जरुरत नहीं है यारों की,
एक वीर चाहिए इन जैसा जो होश उड़ा दे दुश्मनों की|

वीर ने धरती मां से कहा ,
हे मां! मेरे मां को संभाल ले ,
मेरे प्रियतम को पथ दे,
मेरे पिता को शक्ति ,
देना मुझे अगला जन्म ऐसा ,
की मैं फिर कर पाऊं तेरी भक्ति|

नहीं हूं मैं कवित्री ,
नहीं हूं मैं लेखिका ,
हूं मैं देश प्रेम में रंगी ,
और हूं मैं देश प्रेमीका|

जिस धरनी से लिपटकर हर वासी को मिले राहत ,
वह है मेरा भारत,
जिसके लिए हम दे सकते हैं अपनी जान,
वह है हमारा हिंदुस्तान|||


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