सिंदूर की लाली – Delhi Poetry Slam

सिंदूर की लाली

By Shivendra Sharma

लाल रंग न समझो इसको,
जीवन का गठबंधन है l
संस्कृति है ये भारत की,
रिश्तों का पावन बंधन है

इस सिंदूर की कीमत को,
कोई समझ न पाया है l
चुटकी भर सिंदूर की गरिमा ,
जान नहीं कोई पाया है l

वचन है जीवन रक्षण का,
जीवन भर साथ निभाने का l
संबंधों की पावन प्रगाड़ता,
दो प्राण एक बन जाने का l

ये भारत माँ की लाली है,
जिस पर जीवन बलिहारी हैl
भक्ति है हिन्द की नारी की,
ये अतुलित शक्ति हमारी है l

इसकी रक्षा करने को,
सेना तत्पर रहती है l
इसकी लाज बचाने को,
परवाह नहीं कुछ करती है l

नजर मिला कर देखे शत्रु,
उसकी आँख फोड़ने का l
साहस भारत अब रखता है,
दुश्मन की नली तोड़ने का l

कैसे भूलें आजाद भगत को,
नमन उन्हें हम करते हैं l
कैसे भूलें वीर सपूतों को,
हम वंदन उनका करते हैँ l

देख चुकी है दुनिया सारी,
दुश्मन को धूल चटाई है l
इस सिंदूर की खातिर ही,
उसे नानी याद दिलाई है l


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