By Shivangi Panthi
माना के बड़ा गलत, तुम्हारे साथ हो रहा।
पर जरा तुम याद करो, सही भी बड़ा कुछ हुआ।
फिर क्यों शिकायतों का पिटारा तुम शिव के आगे खोलते।
कभी जो मिला है तुम्हे उसके लिए, धन्यवाद भी तो बोलते।
अक्सर तुम हो सोचते के शिव ने तुम्हारी सुनी नहीं।
पर जरा तुम याद करो के तुमने किसकी कितनी सुनी।
फिर जरा तुम अपनी अंतर आत्मा मैं झांकना।
किसके साथ क्या गलत किया, अपनी गलतियों को भांपना।
फिर कही समझ आएगा, के जो हो रहा वही सही।
जब कर्मों का फल मिला है, तो गलतियों की सजा क्यों नहीं।
इस पश्चाताप की घड़ी में भी, तुम्हारा भला हो रहा।
आने वाले कहर के लिए इंसान तैयार हो रहा।
बड़ा परिश्रम कराते हैं शिव और यहीं उनका तरीका हैं।
तुम फूल उनसे मांगते हों, और उनने बगीचे का सोचा है।
समय लग रहा कुछ मिलने मै, तो भाग्य को न दोष दो।
क्या तुमने पूरी कोशिश की पाने में, पहले ये तो तुम सोचलो।
सोचो जरा शिवांगी को भी शिव नहीं मिले थे आसानी से।
पर आखिर बन गई शिव शक्ति कैलाश की महारानी हिमालय की रानी से।
आखिर शिव शक्ति को भी परिश्रम करना पड़ा था शिव को पाने में।
तो तुम तो इंसान हो, भला तुमको कैसे कुछ मिलेगा आसानी से।
पहचान लो कौन अपना हैं, कौन पराया तुम्हारा हो चला।
मुसीबतों की घड़ी में, देखो कौन साथ तुम्हारा दे रहा।
सम्भाल के रखो उन्हें, जो साथ तुम्हारा दे रहा।
क्योंकि आज के समय में तो, कोई दोस्त भी सगा कहा रहा।
और बहुत है बोलने के लिए, पर लोगों के पास सुनने का समय नहीं।
बस समय के साथ चलते रहो, वरना समय आगे बढ़ जाएगा और तुम शायद रहो नहीं......