By Shashi Shisodia

जानते हो
ममता कभी बूढ़ी नहीं होती,
भूल जाती है
कि मेरा बेटा अब बड़ा हो गया,
अक्सर…
नाराज कर देता है उसे
मेरा कुछ भी कहना
संकोचवश मुझे,
उचित लगता है चुप ही रहना!
तुम बड़े हो गए अब
अच्छा-बुरा मुझे
समझाने लगे हो
मेरी परवाहें भी अब,
निरर्थक बताने लगे हो!
क्या करूँ मैं?
माँ हूँ…
मातृत्व, सदा ही तो
विवश रहा है,
स्वभाव ममता का
सदा ही परवश रहा है!
बचपन में तुम्हें
बरसों संभाला,
तेरी नादानियों को
बड़े प्यार से पेाला है
बेमतलब सी तुम्हारी बातें
सुनी बड़े ध्यान से
मेरे लिए थी अर्थपूर्ण बहुत,
तुम सीख रहे थे बोलना…
जानते हो,
तुम्हारा लगातार बतियाना
मुझे बहुत भाता था!
तबसे ही मातृत्व,
मेरे स्वभाव में
अंकित है,
मेरा सुकून भी
तुम्हारे सुकून में निहित है,
मेरे सफेद बालों
और चेहरे की झुर्रियों
में वो फिक्रें हैं,
जो तुमने बेकार समझीं…
अब मेरी फीकी सी बातें सुनी
तुमने बेमन सुनी
तुम्हारे लिए
फिजूल हो चले
दुलार मेरे सभी,
बेमानी सा हो गया अब
वो मेरा लाड-प्यार सभी!
कोई बात नहीं,
धीरे-धीरे बदल भी जायेगी
मेरी आदत,
क्योंकि…
तुम्हें नाराज़ करता है
मेरा कुछ भी कहना
भूल जाती हूँ कि,
बड़े हो गए हो तुम!
ममता मगर
मेरा अजान ही रहा,
नहीं हो पाया
बड़ा इतना
जो समझा सके कुछ,
शायद, मातृत्व कभी
बूढ़ा होता ही नहीं…
माँ के साथ ही मर जाता है!!
My certificate?