By Nurjaha (Noor:) Bagwan

दाव पर लिये ज़िंदगी अपनी जब एक फ़ौजी घर से निकलता है...
देश की सुरक्षा कि ख़ातिर, नजाने क्या-क्या क़ुर्बान वह करता है...
घर-बार से धूर, ऐशो-ओ-आराम से परे, आख़िर किस लिए...?
बस एक माँ से धूर, एक माँ के लिये...
दिल में सुलगती आग लिए, आँखों में चमकता जज़्बा...
हर वक़्त सतर्क रहता है, कहीं दुश्मन कर ना ले क़ब्ज़ा...
ना दुश्मन का भय, ना मौत का दर...
बस देश की सेवा में तट पर, खड़ा रहता है वे निडर...
जंग के मैदान में साहस से लड़ता है, चाहे मार कर या मर कर...
क्योंकि इसके लिए, सेवा है, स्वयं से बढ़कर...!
सलाम है ऐसे वीर को जो सरहद पर वार सहता है...
त्याग के अपने प्राण जो अपने खून से इतिहास रचता है...
लौटूँगा यह कह कर अपनो को देता है वह वचन...
चाहे तिरंगा लहरा कर, या तिरंगे को बना के कफ़न...!
आओ आज इस मौके पर हम स्मरण करे ऐसे ही जवानों को...
मशाल लिए हाथ में स्वर्णिम विजय की, याद करे उन परवानों को...
हम याद करे उन परवानों को...
जय हिन्द...जय भारत...