By Saurav Kumar

हूँ फंसा बड़ा असमंजस में,
आलस में, विस्मंजस में,
मोह में, सम्मोह में,
चाहत में , घबराहट में,
शीघ्रता में , विलम्ब में,
क्या करूं क्या ना करूं,
हूँ सही राह की खोज में,
हाल हुआ कुछ जाये ऐसा ,
कुछ भी समझ ना आए वैसा ,
अभिमन्यु सा हुआ जाऊं मैं,
कालचक्र में फंसता जाऊं मैं,
किंतु....किंतु फर्क है इतना हम दोनों में,
एक दूसरे की व्यूह में फसा,
एक स्वयं रचित व्यूह में फसा ।
ना हि बैठा सामंजस्य मेरे कर्म-विचार में,
सबकुछ उथला-पुथला नजर आए जग में,
स्वयं के कारागार में खुद को डालकर,
कुंजी ढूंढने जग निकले,
लिया परामर्श कितनों से ही,
फिर भी ना समस्याओं का हल निकले
कभी सदा विजय के ख्वाब था बुनता,
आसान छोड़कर परिश्रम चुनता ।
भला आज क्यों निराश हूं मैं,
खुद के मन का क्यों दास हूं मैं ।
आशा है , कि सब सुधरेगा ,
मेरा कल फिर से निखरेगा ,
चहूँ ओर उजियारा बिखरेगा।
बस, मन को अपना दास बना ले ,
परिश्रम को हथियार बना ले,
खुद ही खुद का सलाहकार बन ,
वयस्क हो चुका अब बच्चा ना बन।
पंख मिल चुका है , उड़ान अब भर,
सुख, चैन , आराम सब कर न्योछावर।
मां शारदे का हाथ पकड़ कर ,
कर काबू फिर अपने मन पर ,
ज्ञान जुटा और ध्यान लगा ,
खुद के व्यक्तित्व की पहचान लगा ।
ये शानो-शौकत है चार दिनों की ,
फिर से वहीं तो आना है ,
सदा जीवन , उच्च विचार से ,
और परोपकार के औजार से,
जग में अपना नाम कमा ।
बस यही रहेगा ता-उम्र भर,
तो इसी को अपना कर्म बना ।
चल जो हुआ सो हुआ,
अब करलो खुद को भी क्षमा ।
कलम ही तेरा औजार है ,
कलम ही तेरा श्रृंगार है ।
पुस्तक तेरी प्रेयसी ,
ज्ञान ही तेरा प्रेम....
भ्रमित ना हो , चिंतित ना हो,
मंजिल को भी है , तुझसे प्रेम......
Bahut sundar mere bhai
Bahut sundar line kahi hai apne bhaiya 🙏🙏✍️
Good mama ji
बहुत ही सुन्दर , हर एक की मन की बात ……..
appreciable work…keep going 👏🏻✨
Worth reading ❤️
बहुत खूब मेरे भाई।
अति सुंदर ♥️
I think these lines are deeply related to me and me like all student or aspirants, Such a deep Thought Saurav bhai👏🏻. Keep it Up Bro
Keep doing
Such a wonderful things in your lines
Shadow of your thoughts are clearly visible
Achha h
Thank you 😊