Ishwar ki Awaaz – Delhi Poetry Slam

Ishwar ki Awaaz

By Sarthak Ravi Raj

सृष्टि के रचयिता,
भार उठाऊं सबका,
खुद ही पीड़ा में रहके, 
एक पल को भी ना की शिकवा।

ऐ मनुष्य, तू कितना लोभी है,
सुख आते ही मुझको भूल जाता,
और दुःख का साया आए तोह दौड़ के आ जाता।

ऐ मनुष्य जीवन जीना सीख ले,
जो मिल रहा उसमें खुश रखना सीख ले,
सुख दुःख तो समय का पाहिया है,
जिसको श्री कृष्ण ने भी निर्वाहा है।

तू तो फिर भी सुख से जी रहा है,
सोच उस ग्वाले की जिसके पैर को तीर ने भेदा है।

सोच उस श्री राम का जो आजीवन रहा अकेला है,
सोच उस शिव का जिसने विष पीकर कितनी पीड़ाओं को झेला है।

ऐ मनुष्य तू बड़ा लोभी है,
सुख में याद करले, 
दुख में बिन बुलाए आऊंगा।


6 comments

  • Just looking like a wow

    Harshita
  • Insightful

    Mayank Agarwala
  • Really thoughtful ♡♡

    Ishita
  • One the most beautiful poem i read!!!! Amazing Sarthak!!

    Ankita
  • So Beautiful!!!! Lets go Sarthak !!!!!

    Kshipra
  • Wow sarthak !! Beautiful 🤌🏻👏🏻

    Kushagra Jain

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