By Sarita Kalia

चलो आज ज़िंदगी से हिसाब करते हैं,
क्या खोया, क्या पाया, बात करते हैं।
सज़ा तो तुमने मुझे दी,
कसूर भी बता देते—यही बात करते हैं।
काँच की तरह तोड़ा ज़िंदगी ने,
पर मैं बिखरी नहीं,
इस ज़िंदगी में फिर से आईना बनने की बात करते हैं।
चलो आज ज़िंदगी से हिसाब करते हैं।
ज़िंदगी, बहुत कुछ खोया तुमने मेरा,
पर बस अब और नहीं,
अब मुझे तुमसे सिर्फ़ और सिर्फ़ पाना है।
ज़िंदगी, यह तेरा मेरा हिसाब है।
आओ, इसी उसी ज़िंदगी में यह हिसाब बराबर करते हैं।
चलो आज ज़िंदगी से हिसाब करते हैं।
Great poetry…keep sharing more
Dil ko choo gayee Sarita jee. Ant meing Zindagi hisaab nahin karti, hisaab baraabar kar deti hai.
Awesome
Great writing! Right observation on life..
बहुत ही सुंदर प्रयास।
शुभकामनायें एवं आशिर्वाद सरीता जी
Ati sundar kavita