हिसाब जिंदगी का – Delhi Poetry Slam

हिसाब जिंदगी का

By Sarita Kalia

चलो आज ज़िंदगी से हिसाब करते हैं,
क्या खोया, क्या पाया, बात करते हैं।
सज़ा तो तुमने मुझे दी,
कसूर भी बता देते—यही बात करते हैं।

काँच की तरह तोड़ा ज़िंदगी ने,
पर मैं बिखरी नहीं,
इस ज़िंदगी में फिर से आईना बनने की बात करते हैं।

चलो आज ज़िंदगी से हिसाब करते हैं।
ज़िंदगी, बहुत कुछ खोया तुमने मेरा,
पर बस अब और नहीं,
अब मुझे तुमसे सिर्फ़ और सिर्फ़ पाना है।

ज़िंदगी, यह तेरा मेरा हिसाब है।
आओ, इसी उसी ज़िंदगी में यह हिसाब बराबर करते हैं।
चलो आज ज़िंदगी से हिसाब करते हैं।


6 comments

  • Great poetry…keep sharing more

    B Sarkar
  • Dil ko choo gayee Sarita jee. Ant meing Zindagi hisaab nahin karti, hisaab baraabar kar deti hai.

    Aditya Khanna
  • Awesome

    Ashwani Singhal
  • Great writing! Right observation on life..

    Piyush bansal
  • बहुत ही सुंदर प्रयास।
    शुभकामनायें एवं आशिर्वाद सरीता जी

    Rajni
  • Ati sundar kavita

    Vijaya

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