देश भक्ति – Delhi Poetry Slam

देश भक्ति

By Sarita Gupta

भारत की माटी में जन्में 
इसका कर्ज चुकाना है 
कष्ट झेल रही है माँँ हमारी 
हमें इसे बचाना है
हिमालय है इसका प्रहरी 
तिरंगा है इसकी शान 
उसी मातृभूमि को है मेरा 
शत-शत प्रणाम। 
राष्ट्रपिता हैं बापू जिसके 
और चाचा हैं नेहरू 
कमल है राष्ट्र पुष्प जिसका 
और पक्षी है मयूर इसका
भाषा है हिंदी जिसकी 
और संस्कृति अटूट 
हरे भरे खेतों में इसके 
पक्षी गाते गान
मीठे मौसमी फल करते 
इसकी महिमा का बखान 
अनेक धर्मों के लोग यहाँ रहते 
डाल हाथों में हाथ 
मातृभूमि की रक्षा की खातिर 
शीश पे लेते ढाल
अनेक वीरों ने शहीद होकर 
इसकी लाज बचाई है 
नारी की इज्ज़त की खातिर 
धरती करे पुकार है 
"अब बच्चों है आपकी बारी 
तुम भी एक हो जाना 
दुराचारियों से मुक्त कर इसको 
परम पुण्य बनाना 
वैर भाव सब भूल कर माँ के 
कदमों में झुक जाना" 
इसके चरणों में झुकने से 
तुम भी श्रेष्ठ बन जाओगे 
बस याद रखना माँ ही माँ है 
जीवन मुक्ति पाओगे 
मानुष का जब जन्म लिया तो 
काज हमेशा अच्छे करना 
सदा बिखेरना सुख का उजियारा 
अपना झंडा ऊंँचा रखना


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