Saraswati Behera
खोई नहीं है रंगत तो क्या
महक से छूटा नहीं संगत तो क्या
अडिग है अपने अस्तित्व पर
गर्वित है अपने सौभाग्य पर
कोई समझे या न समझे उसके ख्वाब
बेचारा सा वो टूटा हुआ गुलाब
खोई नहीं है रंगत तो क्या
महक से छूटा नहीं संगत तो क्या
अडिग है अपने अस्तित्व पर
गर्वित है अपने सौभाग्य पर
कोई समझे या न समझे उसके ख्वाब
बेचारा सा वो टूटा हुआ गुलाब