By Sarah Chhawchharia
इस आरक्षित देश में,
बहुत कठिन है स्त्री होना
नदियों में पानी की जगह
खून से लिपटी हुई स्त्रियाँ
जहा बह रही है
उस देश में, हाँ !
बहुत कठिन है स्त्री होना।।
अब तो घर-घर में भी,
"रात को बाहर मत जाओ"
"ऐसे कपड़े मत पहनो"
"ज़्यादा मत खाओ"
जैसी बातें सुनकर,
इस देश में, यकीनन,
बहुत कठिन है स्त्री होना।।
लेकिन उन बेटों का क्या,
जिनकी मर्दांगी,
जिनकी इज़्ज़त,
जिनकी अहंकार,
को साबित करने के खेल में,
खिलौने है हम स्त्रियाँ।
जिनके कारण, इस देश में,
बहुत कठिन है स्त्री होना।।
'बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओं'
तो शुरू कर दी,
लेकिन स्त्री तो, अभी भी,
घर के कामों से आज़ाद हुई नही।
हाँ ! बहुत कठिन है स्त्री होना,
किन्तु नामुमकिन नही।
अपने हक़ के लिए जब लड़ेगी हर स्त्री,
अपनी काबिलियत का जब स्वयं सम्मान करेंगी हर स्त्री,
तब हर देश के हर घर में,
एक निडर स्त्री का जन्म होगा
और फिर स्त्री होना
बहुत आसान होगा।।