By Sanjeevv khanna

वहां कुर्सी के इर्द गिर्द बहुत लोग जमा हैं,
भीड़ हटे तो देखेंगे कि सरकार किसकी है,
कभी आमने सामने बात हो तो हम भी समझें,
हुक्म किसका है और यह आवाज किसकी है ।
कब्ज़ा सा हो गया है, अब उनकी सोच समझ पर,
हाकिम को बहलाने की यह चाल क्यूं है, किसकी है,
अपने पराए सब बदल गए, झूठ-सच भी बदल गए,
कैसा गोरख धंधा है, आख़िर ये साज़िश किसकी है,
गांधारी ना बनो, आंखों की पट्टी खोलो - देखो,
लाशों के इन अंबारों की ज़िम्मेदारी है तुम्हारी,
हक़ से ज्यादा, यहां कब किसको मिला है,
इतिहास बदलने की, यहां औकात किसकी है,
कौरवों ने बिछा ली है, फिर चौसर की बिसात,
कब तक रहेंगे, भीष्म अब हस्तिनापुर के साथ,
धृतराष्ट्र की ख्वाहिशों को फिर किसने हवा दी है,
धर्मक्षेत्र में कलयुग की, यह महाभारत किसकी है,
वहां कुर्सी के इर्द गिर्द बहुत लोग जमा हैं,
भीड़ हटे तो देखेंगे कि सरकार किसकी है ।।