By Sanjay Taneja

चमकता है आइना दिखता है सूरत
क्यों नहीं दिखता यह हमारी सिरत.
खूबसूरती दिखाते और दीखता श्रृंगार
लेकिन नहीं दिखता यह हमारा विकार.
औरत की पहचान है आइना
मेकअप की जान है आइना
इंसान की उम्र दीखता आइना
बचूं के लिए कौतूहल है आइना
अब तो आदमी के लिए विज्ञानं भी है आइना.
किसी ने क्या खूब कहा है कि
इस मतलबी दुनिया मैं
आइना वही रहता हैं
बस चेहरे बदल जाते हैं.
इस भीड़ में भी हमारा अकेलापन हमसे कहते हैं
की आईने के सो तूकड़े हमने कर के देखे हैं
एक में भी तनहा थे सौ में भी अकेले हैं.
काश मैं भी आइना बन के दिखता
सूरत और सीरत दोनों दिखलाता
आदमी की सही पहचान दिखता.
छल कपट से दूर भागता
इंसान से इंसान का सही परिचय करवाता
ज़िन्दगी को और आसान बनाता.
यह सच है कि आइना झूठ नहीं बोलता
लेकिन फिर भी चमकता है आइना
दिखता है सूरत
मगर क्यों नहीं दिखता यह हमरी सिरत.