सच्चे सिपाही – Delhi Poetry Slam

सच्चे सिपाही

By Sangeeta Sharma 

'सरहद’ फौजी संभाल ही लेंगे,
भीतर देश को पर संभालेगा कौन?

शीश काटा फौजी अपना फ़र्ज निभा जाएगा,
पर अंदरूनी दायित्वों का भार उठाएगा कौन?

दुश्मन का सफाया करेंगे—युवा शक्ति में दम है,
पर क्या अस्वच्छता के आतंक को मिटा सकेंगे हम?

मेरे देश का यौवन मदमाता है, सरसता है,
सीमा पर पौरुष दिखाना चाहता है।

पर अस्वच्छता नाम के आतंक पर
काल बरसेगा—यह सोच कौन करेगा?

धन्य देश की माटी, वीर प्रसूता वसुधा,
पर श्रृंगार की खातिर स्वच्छता पर
मिटने वाले कितने कम हैं हम?

कचरा उठाने का उपदेश देते हैं सब,
लेकिन कौन है जो प्रत्यक्ष में उठाने का दम रखता है?

मेरा सलाम उन वीरों को, जो सरहद संभाल बैठे हैं
और एक सलाम उन वीरों को, जो
नालों की स्वच्छता का भार संभाले बैठे हैं।

जिन्हें अस्पृश्यता का दंश झेलना पड़ा,
जिनके घर में कोई कभी न घुसे
उन हाथों पर वारी हूं मैं।

विश्व खोखला है जो गंदे कामों को नीच कहता है,
पर मैं न्योछावर हूं उन हर घर के लाल वीरों को
जो असली हीरो हैं:
वे न सिर्फ सीमा सुरक्षित रखते हैं,
बल्कि सीमा में स्वच्छता भी बनाए रखते हैं।


1 comment

  • Thank you…

    Sangeeta Sharma

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