By Vipul Pande
लफ्ज़ ना करते बयां,
एहसासों का सिलसिला।
रास्ता ना मंज़िल से जुदा,
काफ़िला आशाओं का मिला।
मदहोश ही तो है फ़िज़ा,
वो लम्हों की रवानीयाँ।
नज़रों में है खामोशियाँ,
ख्वाबों की कुछ परछाइयाँ।
कुछ आरज़ू गुफ़्तगू करें,
धड़कन में राज़ कुछ घुल रहा।
वो मुस्कराहट शाम सी,
वो सफर की आहटों का सिला।