By Ritesh Misra

पूछते हैं वो नहीं किसी पे एतबार क्यों
पीठ पे जो जख्म के निशां दिखा दिए
चंद रोज का है यह तजरबा जनाब
दाग गहरे वक्त ने कब के मिटा दिए
साजिश चली जिन महफिलों में कत्ल की मेरे
तफतीश की जो जर्फ तक मालूम ये पड़ा
मेरे करीबियों की ही सरपरस्ती में
मजलिस के वास्ते ये हुजुम था खड़ा
चाह भी लूं तो शिकवा करूं कहां
पता ही नहीं जब गुनहगार कौन
नकाब एक से है लगा रखे सबने
मासूम कौन है और खतावार कौन
बदली रिवायते़ है आवाम की सुन लो
हालात जो बने हैं काबिल-ए- गौर हैं
फरेबसाजो़ं का कुनबा है बढ़ रहा
खंजर लिए खड़े अपनो का दौर है
आईना समाज का बयां ये कर रहा
हजार गिरहं लग रही रिश्तों के तार में
हो रहा है कौड़ियों के भाव आजकल
इंसान के इमान का सौदा बाजार में
एहतराम उल्फत का ना एहसास की कदर
चार दिन की आशिकी दस्तूर बन गई
गैर जरूरी है वफा इश्क की खातिर
जज्बात मोहब्बत में नासूर बन गई
गिद्ध की फितरत लिए जहान है खड़ा
वक्त ए नाजा का बस इंतजार है
जिस्म का हर एक कतरा नोच लेंगे ये
फिर कहेंगे रूह पर भी इख्तियार है
बर्बाद करने का तुझे मंसूबा लिए
हिमायती के वेश में हाजिर बतौर हैं
फरेब साजों का कुनबा है बढ़ रहा
खंजर लिए खड़े अपनों का दौर है।
मेरी मिसाल छोड़िए दुनिया की देखिए
खैर ख्वाहों में ही कातिल छिपे हुए
अल्फाज ए यकीं का मखौल बन रहा
भेड़ की लिबास भेडियें छिपे हुए
फूल सी बच्ची की असमत बिक गई साहब
बेशरम वह नोट के पर्चे उड़ा रहा
बाप भाई सनम या साथी है कोई
खामोश लब और आंख का पानी बता रहा
वालिद है खड़ा गली के एक कोने में
निहारती पलकें सुबह से शाम हो गई
अब भी है यकीं वो लेने लौट आएगा
इंतजार की उसके इतिंहां हो गई
जिंदगी गुजार दी परवरिश में जिसकी
नीयत उसकी इतनी नापाक हो गई
शमशान तक कंधे में उसके जाने की ख्वाहिश
कुछ कदम पर बोझ बनकर खाक हो गई
खून के कतरों की ऐसी बेवफाई के
आज के माहौल में किस्से कई और है
फरेब साजों का कुनबा है बढ़ रहा
खंजर लिए खड़े अपनों का दौर है।
Excellent poetry with wonderful selection of words.
Please keep writing countless such poems Ritesh
Best wishes
बहुत लाज़वाब सर। शब्दों को जिंदगी के फलसफा के साथ पिरो के ऐसे पेस किया है आपने की मानो शब्दों में जान आ गई हो जैसे।।
👏👏👏👏👌👌
Superb poetry 👌. Proud of you.
Excellent poetry.
Excellent poetry.
! Excellent poetry, well elucidated about current scenario.
This poem is a masterful blend of emotion and imagery, capturing profound truths with a graceful economy of words. Each line resonates deeply, inviting the reader to pause, reflect, and feel. It’s a testament to the poet’s insight and craft
Very well written in the context of today’s time.
Excellent poetry 👌
एक नंबर ….बस शब्दों के मीनिंग ढूढने में वक्त लगा
Congratulations Sir.. This poem deserves to be selected. Keep going Sir. Still lot to be achieved
Very good and meaningful poetry NAZARIYA.
Excellent poetry
Wonderfull presentation of bitter truth of present scenario of society,Each word is so realistic.A big salute to amazing poet🙏
Very meaningful and so true in the current scenario
So soulful and expressive.Dil ko chu jane wali panktiyan..👏👏
So soulful and expressive.Dil ko chu jane wali panktiyan..👏👏
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