By Rishav Rishu

मन के मन के मान को,
तू तन के धन का दान कर।
प्राण को सम्मान को,
चिरंतन श्रमदान कर।
जीत बस तेरी ही है,
तू प्रण अटल महान कर।
भले हो इंदु निष्पति,
तू सूर्य बन प्रहार कर।
हे अनंतखंड! स्वयंप्रकाश का संज्ञान कर,
नभ-धरा तो है तेरी, जा व्योम का प्रयास कर।।