अन्तर्मन – Delhi Poetry Slam

अन्तर्मन

By Dr Reeta Sharma 

जीवन के रागों को सुनने की कोशिश कर, 
वीरान राहों में गुनगुनाने की कोशिश कर।
एकान्त के पलों को जीने की कोशिश कर,
एक बार गगन की दामिनी के मानिंद, उद्घोष तो कर ।।

हृदय नीरज को सद्विचारों से प्रस्फुटित तो कर
सुषुप्त, नीरस पथ में रक्त रवि को उदित कर।
विज्ञता को धारण कर, जिन्दगी को मुदित कर,
निशब्द, शून्य, मायूस रसना को मुखरित तो कर ।।

अर्न्तमन के द्वन्द से निकलने की कोशिश कर,
आंधी तूफान से टकराने की जिद तो कर।
हृदय को सहृदय कर, सुरभित आशीष से भर
जीवन है कर्मपथ, प्रवृत्त हो, प्रयास तो कर।।

राह नयी बना, तू है साहस का समन्दर,
अनन्त, असीम फैले आसमां को देखकर।
हो कटिबद्ध, उद्यत, निर्भय निश्छल हो चल,
जिन्दगी को नमन कर, वंदन कर, अभिनंदन कर।।

भूत के वर्चस्व से न स्व को तू तोलना,
वर्तमान की धारा के साथ ही है बहना।
परिवर्तन को सदा उल्लास से स्वीकारना,
इसको ही तुम जीवन परिभाषा मानना ।।


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