By Ratnesh Gupta

जीवन के हर क्षण को जीते-
रोते, बिलखते, लड़ते, झगड़ते,
आशा-निराशा में भटकते,
किसी से बैर, किसी से मित्रता,
किसी से प्रगाढ़ रिश्ता-नाता।
जब तक कि संसार का ज्ञान होता,
सब रिश्ते-नाते एक औपचारिकता होते।
सृष्टि के समर में हम गोटे खाते रहते,
यदि एक राह को पकड़कर चले जाते-
इस संसार के भावसागर को पार कर जाते।