By Rakesh Kushwaha Rahi
तुम जीते, मैं दुनिया हारा,
मैं अंबर का टूटा तारा।
चमक तुम्हारी कम न होगी,
मैं बेबस गर्दिश का तारा।
तुम जीते, मैं दुनिया हारा,
मैं अंबर का टूटा तारा।
अपनी-अपनी राह सभी की,
सुन लेता हूँ बात सभी की।
पर थोड़ा सा वक़्त है बदला,
रख लेता हूँ लाज सभी की।
तुम जीते, मैं दुनिया हारा,
मैं अंबर का टूटा तारा।
गुलशन-गुलशन ढूँढ रहा मैं,
जीवन का एक तार पुराना।
टूटा साज कहाँ है खोया,
हर पल उसको ढूंढ रहा मैं।
तुम जीते, मैं दुनिया हारा,
मैं अंबर का टूटा तारा।
मैं टूटा-फूटा प्याला ठहरा,
तुम मधुबन की मधुशाला।
अब न नशा वो पहले वाला,
मैं नहीं रहा अब मधु का प्याला।
तुम जीते, मैं दुनिया हारा,
मैं अंबर का टूटा तारा।
