जाने क्यों – Delhi Poetry Slam

जाने क्यों

By Rakesh Agarwal

वो आज की नारी है, सशक्त है, हर मैदान में सब पर भारी है ।
चाहे तो खुद चांद तारे तोड़ लाए, हर पर्वत को पीछे छोड़ जाए,
पर जाने क्यों आज भी वो एक दुखियारी है,
क्योंकि शायद, नारी ही नारी की दुश्मन बन बैठी है ।

वो एक मां है,
पर जाने क्यों उसकी ममता समाज के ठेकेदारों की गुलाम बन बैठी है ।
चाहे तो अपनी बेटी की खुशी और आत्मसम्मान के लिए चार लोगों से लड़ जाएं,
पर जाने क्यों वो अब अपनी बेटी को देखती भी उन चार लोगों की नजरों से ही है ।

वो एक बहू बनके घुटती तो है,
पर जाने क्यों सास बनके घोंटती भी है ।
एक बहन भी है, अपने भाई की ताकत है, सहारा है,
पर जाने क्यों भाभी की ख़ुशी, उसकी आज़ादी नागवारा भी है ।

नारी दौड़ने को तैयार है,
पर जाने क्यों उसके पैरों में बेड़ियाँ डालने वालों में भी तो कोई नारी ही है ।
कहते थे बेटी पराया धन है,
पर जाने क्यों उसे ना अपनाने वाले वाली भी तो नारी ही हैं ।  
जाने क्यों ..


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