मैं चाँद तक जाऊँगा – Delhi Poetry Slam

मैं चाँद तक जाऊँगा

By Rajesh Kumar

चन्दा मेरे मामा हैं
माँ तुमने मुझे बताया है,
पर वो इतने दूर क्यों हैं
ये नहीं समझाया है ॥

रातों को देखा है मैंने
वो कितना हमसे दूर हैं
लौट के घर क्यों नहीं आते
जाने क्यों मजबूर हैं ॥

शायद माँ अब तक उनके
खत्म हो गये हैँ पैसे सारे
इसीलिये वो अब तक घर
नहीं आ पाये हैं बेचारे ॥

या फिर उन्होंने भी की थी
कोई मुझ सी ही शैतानी
इसीलिये गुस्सा हैं अब तक
उन से नाना और नानी ॥

पर मेरी अच्छी वाली माँ
तुम सब को समझाओ ना
मामा कब से दूर खडे हैं
जा कर घर ले आओ ना ॥

कहीं ऐसा तो नहीं है माँ
कि तुमने ही उनको डाँटा था
शरारत करोगे तो मारूँगी
कह कर दिखलाया चाँटा था ॥

शायद तुम्हारे ही डर से वो
अब तक दूर खडे हैं माँ
अब तो तुम गुस्सा भी नहीं हो
फिर वो क्यों डरे हैं माँ ॥

तुम को मालूम नहीं है माँ
सब बच्चे मुझे बहकाते हैं
मेरे चन्दा मामा को वो भी
अपना मामा बतलाते हैं ॥

पर तुम चिंता मत करो माँ
अब मैं खुद वहाँ पे जाऊंगा
हाथ पकड कर अपने मामा का
वापस अपने घर ले आऊँगा ॥


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