By RAIS SIDDIQUI
दुनिया से बेज़ारी क्या ?
ऐसी भी ख़ुद्दारी क्या ?
सोने वाली क़ौमों से
होगी शब्बे-दारी क्या ?
हंसते-हंसते रोते हो
ऐसी भी मक्कारी क्या ?
ग़म तो सब को मिलते हैं
हर शब आहो -ज़ारी क्या ?
क्यों घुट घुट कर बात करें ?
लहजा है सरकारी क्या ?
तुमने हर एक शायर को
समझा है दरबारी क्या ?