radha Krishna – Delhi Poetry Slam

radha Krishna

By Riya Narain

 

 

कृष्ण और राधा ये नाम नहीं, ये तो ज़िन्दगानी है। 
कितनी प्यारी कितनी सच्ची ये प्रेम कहानी है।
वो भोली सुन्दर मासूम सी लड़की प्रेम दीवानी है ।।
जिसने इस दुनिया छोड़, कृष्ण जी को प्रेम करने की ठानी है। 
बसा कर अपनों मन मे कृष्ण जी को वो अपने मोहब्बत के लिए इस दुनिया में जानी है।।

क्या बताउ कितना खास है कृष्णा जी का प्रेम, 
पास घूमने चाहिए कितने भी गोरी मेंम,
 पर बस ढूंढे राधा जी को ही उनके नेन, 
उनको ही देखना आता दिल को चैन।

दोनों का प्रेम तो एक मिसाल है…
जो बदलता नहीं सालों साल है…!!!

कहने को कृष्णा जी की थी  108 रानियां,
चाहिए वो पूरी अपनी ही मनमानिया।।
चाहिए जिसके साथ रचायें रास-लीला
चाहिए जिसके संग कर वो हाथ पिला।।

पर जो उनकी हिस्सा है आधा,
जिसके संग पार कर  जाए, वो कोई भी बाधा।।
जिससे प्यार किया, जिनको सबसे ज़्यादा, 
वो बस कृष्ण की राधा है ।।

 

सुनकर उनकी मधुर बांसुरी,
भूल जाती है वो दुनिया सारी ।।
जिससे बहा गया उसकी सारी शरारते,
जिसके साथ किया ना जाने कितनी नादानियाँ ।।

जब रहते वो राधा के संग,
तब गूंजते थे आसमान में कितने रंग ।।

जब-जब चुराया करते थे वो माखन,
तब-तब चुरा लेते थे वो राधाजी का मन ।।

कभी रहे ना वो जुदा, कभी न रहे  वो साथ में,
नहीं था कृष्ण जी के हाथ राधा जी के हाथ में,
पर प्रेम था उनके हर बात में ।।
कृष्ण और राधा ये नाम नहीं, ये तो ज़िन्दगानी है। 
कितनी प्यारी कितनी सच्ची ये प्रेम कहानी है।
वो भोली सुन्दर मासूम सी लड़की प्रेम दीवानी है ।।
जिसने इस दुनिया छोड़, कृष्ण जी को प्रेम करने की ठानी है। 
बसा कर अपनों मन मे कृष्ण जी को वो अपने मोहब्बत के लिए इस दुनिया में जानी है।।

क्या बताउ कितना खास है कृष्णा जी का प्रेम, 
पास घूमने चाहिए कितने भी गोरी मेंम,
 पर बस ढूंढे राधा जी को ही उनके नेन, 
उनको ही देखना आता दिल को चैन।

दोनों का प्रेम तो एक मिसाल है…
जो बदलता नहीं सालों साल है…!!!

कहने को कृष्णा जी की थी  108 रानियां,
चाहिए वो पूरी अपनी ही मनमानिया।।
चाहिए जिसके साथ रचायें रास-लीला
चाहिए जिसके संग कर वो हाथ पिला।।

पर जो उनकी हिस्सा है आधा,
जिसके संग पार कर  जाए, वो कोई भी बाधा।।
जिससे प्यार किया, जिनको सबसे ज़्यादा, 
वो बस कृष्ण की राधा है ।।

 

सुनकर उनकी मधुर बांसुरी,
भूल जाती है वो दुनिया सारी ।।
जिससे बहा गया उसकी सारी शरारते,
जिसके साथ किया ना जाने कितनी नादानियाँ ।।

जब रहते वो राधा के संग,
तब गूंजते थे आसमान में कितने रंग ।।

जब-जब चुराया करते थे वो माखन,
तब-तब चुरा लेते थे वो राधाजी का मन ।।

कभी रहे ना वो जुदा, कभी न रहे  वो साथ में,
नहीं था कृष्ण जी के हाथ राधा जी के हाथ में,
पर प्रेम था उनके हर बात में ।।


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