सिंदूर - मिटाने वालों को सिंदूरी कर दिया – Delhi Poetry Slam

सिंदूर - मिटाने वालों को सिंदूरी कर दिया

By Priya Aggarwal

गूंज उठी चहुँ ओर , ये कैसी शंख नाद है?
गांडीव उठाओ 'हे भारत ! ', केशव की पुकार है ।

पहलगाम की वादियों में यह कैसी चीत्कार है?
मासूम जनों पर चली है गोली, यह उनकी हाहाकार है!
आतंक का वीभस्त नाच नाचकर, करते झूठ का प्रचार है!
धर्म जाति का भेद बता कर, करते मासूमों पर प्रहार है!

चढ़ गई हत्थे आतंकियों के, फिर से एक अबला नार है !
छोड़ा अबला को जिंदा, सिर्फ ये देने को समाचार है ।
बताओ अपनी सरकार को ,हम कितने समर्थ वान हैं
आतंक को धर्म का नकाब पहनाने की, यह चाल बेकार है ।

नहीं समझ पाए यह धरती ,वही हिंदुस्तान है
रची जहां महाभारत क्योंकि यहाँ नारी का सम्मान है !
भूल गए यहां हर किसी कि 'मोदी' से जान पहचान है ।
हर अबला का यहाँ 'मोदी ' भाईजान ' है
लग गए है लेने बदला यह 'ऑपरेशन सिंदूर 'महान है ।

भारत के नागरिक सशक्त हैं क्योंकि सरहद पर जवान है ।
इस धरा पर रामायण और कुरान एक समान है ।
चाटो धूल और मुँह की खाओ, मेरा भारत देश महान है ।
चढ़ गई है सिंह पर भारत माता, अब दुष्टों का काम तमाम है !


Leave a comment